Estate Planning : नमस्कार दोस्तों एस्टेट प्लानिंग के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को किसी दूसरे के नाम करता है। इसके लिए व्यक्ति को पहले से ही प्लानिंग करने आवश्यक होती है, जिससे कि उसकी मृत्यु के पश्चात उसकी पूरी संपत्ति उसके हितकारी को मिल सके। इसीलिए मृत्यु से पहले प्रत्येक व्यक्ति के लिए एस्टेट प्लानिंग करना बहुत ही आवश्यक है। जिससे मृत्यु के पश्चात हितकारी में झगड़ा विवाद नहीं होता है और अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।
इसी के साथ आपको बता दें की यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति पर विवाद नहीं चाहता है और वह किसी एक व्यक्ति को अपनी संपत्ति का मालिक बनाना चाहता है, तो उसके लिए एस्टेट करना बहुत ही आवश्यक है। दरअसल यदि व्यक्ति की संपत्ति में से देनदारी हटा दी जाए, तो बची हुई संपूर्ण संपत्ति एस्टेट कहलाती है। इस लेख में हम आपको उन तरीकों के बारे में बताने वाले हैं, जिनको ध्यान में रखते हुए एस्टेट प्लानिंग करनी चाहिए।
Estate Planning कैसे करें?
हालांकि सभी लोग एस्टेट को तो जान गए होंगे कि स्टेट क्या होता है? परंतु यह जानना बहुत आवश्यक है कि एस्टेट प्लानिंग कैसे करें, क्योंकि एस्टेट की प्लानिंग करना सभी व्यक्तियों के लिए मृत्यु से पहले बहुत ही आवश्यक है। इससे व्यक्ति अपने चुनिंदा व्यक्ति को अपनी संपत्ति का मालिक बना सकता है। इसीलिए एस्टेट से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार करना बहुत आवश्यक है, इसमें सबसे पहला तरीका वसीयत का होता है।
इसी के साथ आपको बता दें कि यह पूरी एस्टेट प्रक्रिया कानूनी तौर पर की जाती है, जिससे कि कानूनी तौर पर की गई कार्यवाही के माध्यम से हितकारी को संपत्ति प्राप्त होती है। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया को अधिकतर वकीलों की देखरेख कराया जाता है।
वसीयतनामा पहला तरीका
यदि आप एस्टेट की प्लानिंग कर रहे हैं, तो उसके लिए सबसे पहला तरीका वसीयतनामा है। यदि आप अपने किसी भी हितकारी को अपनी संपत्ति का मालिक बनाना चाहते हैं, तो उसके नाम पर वसीयतनामा लिखवा सकते हैं। क्यूंकि इसको मृत्यु से पहले लिखा जाता है, जिसके आधार पर आपके हितकारी को मृत्यु के पश्चात संपत्ति पर अधिकार दिया जाएगा। इसीलिए बसीयतनाम मृत्यु उपरांत प्रभावी होता है, इसमें अधिक स्टांप वगैरा की आवश्यकता होती है। बल्कि दो लोगों की गवाही के आधार पर वसीयतनामा लिख दिया जाता है।
निर्वाहक का चयन करें
व्यक्ति के लिए एस्टेट वसीयतनामा लिखने के उपरांत एक अच्छे निर्वाहक का चयन करना बहुत आवश्यक है। जिसके पास वसीयत से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध होती है, जो कि व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात हितकारी को उसके अधिकार प्रदान करता है। इसके आधार पर हितकारी संपत्ति का मालिक बन जाता है। इसीलिए एक भरोसेमंद निर्वाक होना बहुत आवश्यक है, हालांकि निर्भाहक के तौर पर पति-पत्नी भी एक दूसरे के लिए निर्वाहक का कार्य कर सकते हैं। परंतु यदि दोनों की मृत्यु हो जाए तो इसके उपरांत भी एक निर्वाह की आवश्यकता होगी, इसीलिए आप हमेशा ऐसे निर्वाहक को चुने जिसकी मृत्यु आपकी मृत्यु के पश्चात हो।
इच्छुक हितकारी को चयनित करें
एस्टेट जिस व्यक्ति के लिए लिखा जा रहा है, वह हितकारी होता है। इसीलिए व्यक्ति अपने हितकारी को अपनी इच्छा अनुसार चयन करें। जिसके नाम पर मृत्यु के पश्चात संपत्ति लिखना चाहता है, इसमें वह एक से अधिक हितकारी का चयन कर सकता है। लेकिन ऐसा करने पर उसको अपनी संपत्ति को किस प्रकार से विभाजित करना है, इसकी भी जानकारी वसीयतनामा में प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें सभी को हिस्सा मिलेगा।
संप्रामण का महत्व
एस्टेट में संप्रामण का महत्व बहुत ही अधिक है, जो की एक कानूनी प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत यदि कोई भी व्यक्ति संपत्ति पर दावा करता है, तो इस कानूनी प्रक्रिया के आधार पर वसीयतनामा को मानक माना जाता है। जिसके अनुसार सभी दावों को निरस्त कर दिया जाता है, इसलिए संप्रामण एक एस्टेट के लिए बहुत ही आवश्यक दस्तावेज है।