Loan Rules : लोन चुकाने की नहीं बसकी तो आरबीआई के 5 नियम आएंगे काम, बैंक कुछ नहीं कर पाएगा

Loan Rules

Loan Rules : जब कोई व्यक्ति अपने होम लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई चुकाने में असमर्थ होता है, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि बैंक या लोन देने वाली कंपनी उसे अत्याचार कर सकती है। भारतीय कानून में ऐसे कई प्रावधान हैं जो लोन डिफॉल्ट करने वालों की सुरक्षा करते हैं, ताकि उनका शोषण न हो। अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हैं या आपका लोन डिफॉल्ट हो गया है, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके पास कौन-कौन से अधिकार हैं। इस लेख में हम कुछ ऐसे प्रमुख अधिकारों और प्रक्रियाओं के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानकर आप अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं।

1. Loan Rules – नोटिस प्राप्त करने का अधिकार

अगर आप अपनी ईएमआई नहीं चुका पा रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि बैंक आपकी संपत्ति जबरन छीन सकता है या आपको अपराधी घोषित कर सकता है। भारतीय कानून के तहत, बैंक या लोन देने वाली कंपनी एक तयशुदा प्रक्रिया के अनुसार ही कार्य करती है। जब आप अपनी ईएमआई चुकाने में असफल रहते हैं, तो बैंक आपको पहले एक नोटिस भेजता है।

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नोटिस की प्रक्रिया:

  • 60 दिन का नोटिस: यदि आपका लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बन जाता है, तो बैंक आपको 60 दिन का नोटिस जारी करता है। इस दौरान, बैंक आपको कर्ज चुकाने का एक अंतिम अवसर प्रदान करता है।
  • पब्लिक नोटिस: अगर 60 दिन के अंदर आप कर्ज का भुगतान नहीं करते, तो बैंक एक पब्लिक नोटिस जारी करता है, जिसमें संपत्ति की नीलामी की तारीख, समय और अन्य आवश्यक जानकारी दी जाती है।

इस अवधि में, आपको अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है, और बैंक को सभी नियामक प्रावधानों का पालन करना होता है।

2. संपत्ति की उचित मूल्यांकन सुनिश्चित करने का अधिकार

अगर आपने 60 दिनों के अंदर अपना कर्ज चुकाया नहीं, तो बैंक आपकी संपत्ति की नीलामी कर सकती है। नीलामी से पहले, बैंक आपको संपत्ति की मूल्य, रिजर्व प्राइस और नीलामी की तारीख जैसी जानकारी भेजती है।

आपके अधिकार:

  • संपत्ति के मूल्य पर आपत्ति: अगर आपको लगता है कि बैंक द्वारा तय की गई संपत्ति की कीमत सही नहीं है, तो आप इस पर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
  • बेहतर मूल्य के लिए खरीदार ढूंढने का अधिकार: आप खुद भी संभावित खरीदारों से संपर्क कर सकते हैं और बैंक के साथ इस पर चर्चा कर सकते हैं, ताकि संपत्ति का सर्वोत्तम मूल्य मिल सके।

3. अतिरिक्त राशि प्राप्त करने का अधिकार

यदि नीलामी के दौरान बैंक आपकी बकाया राशि पूरी वसूल कर लेती है, और संपत्ति के बेचे जाने के बाद कुछ रकम बचती है, तो वह बची हुई राशि आपको वापस की जाती है।

क्या करना होगा:

  • नीलामी की निगरानी रखें: नीलामी प्रक्रिया आमतौर पर ई-ऑक्शन के माध्यम से होती है, और आप इसे ऑनलाइन देख सकते हैं। नीलामी के बाद अगर कोई अतिरिक्त राशि बचती है, तो वह आपको वापस की जाती है।

4. सुनवाई का अधिकार

यदि आपके खिलाफ संपत्ति कब्जाने की कार्रवाई की जा रही है, तो आपको इस प्रक्रिया के दौरान अपनी स्थिति प्रस्तुत करने का अधिकार होता है।

सुनवाई की प्रक्रिया:

  • आपत्ति दर्ज कराना: आप अपनी आपत्ति अधिकृत अधिकारी के सामने दर्ज करवा सकते हैं। अधिकारी को सात दिन के भीतर आपकी आपत्ति का उत्तर देना होता है। यदि आपकी आपत्ति खारिज की जाती है, तो अधिकारी को इसके कारणों को स्पष्ट करना होता है।

5. मानवीय व्यवहार का अधिकार

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों और लोन वसूली एजेंटों को यह निर्देश दिए हैं कि वे कर्ज वसूली के दौरान ग्राहकों के साथ मानवीय तरीके से व्यवहार करें।

आपके अधिकार:

  • प्रताड़ना से बचाव: लोन वसूली एजेंटों को आपको मानसिक या शारीरिक रूप से परेशान करने का कोई अधिकार नहीं है। वे केवल निर्धारित स्थानों पर ही आपसे संपर्क कर सकते हैं। अगर ऐसा कोई स्थान नहीं है, तो वे केवल आपके घर या कार्यस्थल पर संपर्क कर सकते हैं।
  • समय की सीमाएं: लोन वसूली एजेंटों को सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक ही आपसे संपर्क करने की अनुमति है। इसके अलावा, उन्हें आपकी गोपनीयता का पूरा सम्मान करते हुए कार्य करना होता है।

इन अधिकारों के बारे में जानने से आप अपनी स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए अपने लोन से संबंधित मसलों का समाधान ढूंढ सकते हैं।

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